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तमिलनाडु में आज की पीढ़ी के हिंदी के प्रचारकों में प्रो. वी. रा. जगन्नाथन का नाम अग्रगण्य है. वे यद्यपि भाषावैज्ञानिक, अनुवादक तथा विश्व भर में हिंदी शिक्षण पाठ्यक्रम के निर्माण में योगकर्ता हैं, तथापि उनका नाम मूलतः राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचारक के रूप में ही लिया जाता है. उन्होंने ‘हिंदी की आधारभूत शब्दावली’, ‘गहन हिंदी शिक्षण’, ‘स्वयं हिंदी शिक्षण’ आदि लगभग एक दर्जन पुस्तकें लिखी हैं और इसके माध्यम से हिंदीतर भाषियों के बीच हिंदी का प्रचार-प्रसार कर राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में अपूर्व योग दिया है. उन्होंने ‘गवेषणा’, इन्दिंजर्नल ऑफ़ एप्लाइड लिंग्विस्टिक्स’ जैसी शोध पत्रिकाओं का संपादन किया है. उन्हें महत्वपूर्ण लेखन तथा अनुवाद कार्य द्वारा हिंदी और तमिल के बीच सेतु बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए वर्ष 2005 का ‘जस्टिस शारदा चरण मित्र स्मृति भाषा सेतु सम्मान’ से सम्मानित किया गया है
डॉ. रवींद्र प्रसाद सिंह
आलेख - राष्ट्रीय आंदोलन और राष्ट्रीय चेतना से युक्त हमारे हिंदी प्रचारक
विकास प्रभा आई डी आई बी की त्रैमासिक पत्रिका, जुलाई – सितंबर 2012 में साभार